आधुनिक भारतीय चित्रकला के जनक थे राजा रवि वर्मा

Prabhasakshi
2 min readMay 3, 2022

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राजा रवि वर्मा ने कुल 7000 से भी अधिक पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें दमयंती का हंस से बाते करना, शकुंतला को दुष्यंत की तलाश, नायर लेडी की अदाएं, शांतनु और मत्स्यगंधा की पेंटिग इत्यादि कई सारी उनकी फेमस कृतियां हैं।

राजा रवि वर्मा पहले ऐसे चित्रकार थे, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की छवियों को कैनवास पर उकेरा। हिन्दू धर्म संस्कृति और पौराणिक कथाओं, महाभारत और रामायण के पात्रों का जितना बेमिसाल चित्रण राजा रवि वर्मा ने किया है, वह अप्रतिम है। उनकी बनाई हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें उनके ईश्वरीय रूप को हमारे सामने यथावत रख देती हैं। राजा रवि वर्मा को आधुनिक भारतीय चित्रकला का जनक (द फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट) कहा जाता है।

आज 29 अप्रैल इस महान भारतीय चित्रकार राजा रवि वर्मा का जन्मदिवस है, इस अवसर पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें-

राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के त्रावणकोर के किलिमन्नूर गांव में हुआ था। इनके पिता एज्हुमविल नीलकंठन भट्टातिरिपद एक पारंगत विद्वान थे और माता उमायाम्बा थम्बुरत्ति प्रसिद्ध कवि और लेखिका। चित्रकला का शौक राजा रवि वर्मा को बचपन से ही था, 5 साल की उम्र में वह चारकोल से घर की दीवारों पर चित्र बना दिया करते थे। राजा रवि वर्मा की चित्रकाला को आगे बढ़ाने में उनकी प्रेरणा बने उनके चाचा राज राजा वर्मा, जो स्वयं भी चित्रकार थे।

राजा रवि वर्मा के चित्रकारी के शौक को देखते हुए उनके चाचा उन्हें त्रावणकोर के राजमहल ले गए, जहां वॉटर पेंटिंग के महान चित्रकार रामास्वामी नायडू से उन्हें चित्रकारी की बारीकियां सीखने को मिली। उस समय राजा रवि वर्मा महज 14 साल के थे, चित्रकला में रूचि के चलते जल्दी ही उन्हें इस कला में महारत हासिल हो गई। इसके बाद मदुरै, मैसूर, बड़ौदा सहित देश के कई स्थानों पर घूमकर राजा रवि वर्मा ने अपनी चित्रकला को और भी निखारा। उस समय भारत में वाॅटर कलर पेंटिंग का जोर था।

ऑइल पेंटिंग (तैल चित्रकारी) राजा रवि वर्मा ने नीदरलैंड के मशहूर चित्रकार थियोडोर जेनसन से सीखी जो तब भारत आए हुए थे। थियोडोर जेनसन से ऑइल पेंटिंग की तकनीक को सीखकर राजा रवि वर्मा ने अपने चित्रों को ऑइल पेंट के रंग दिए, जिन्हें इतना पसंद किया गया कि उसके बाद भारत में ऑइल पेंटिंग्स का दौर चल पड़ा। थियोडोर जेनसन दुनिया भर में पोर्टेट कलाकार के लिए भी काफी प्रसिद्ध रहे हैं, राजा रवि वर्मा ने उनसे ही पोर्टेट बनाना भी सीखा और उसमें निपुणता हा

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